चण्डी मंदिर परिसर


चण्डी माता मंदिर

" एक शिला में दुर्लभ पंचमूर्ति - माँ का आशीर्वाद

रत्नागर्भा मातृभूमि के गर्भ से निकली प्राचीनकाल के एक अद्भुद रूपधारिणी गरिमा-महिमामयी पंचमूर्ति देवी माँ की ऐतिहासिक नगरी सदियों से आस्था-विश्वाश और अलौकिक शक्ति का गढ़ रहा है ।

महादानी राजामोरध्वज की आराध्य देव स्थलीय गढ़ रीवाँ - लोरिक चंदा के प्रणय गाथा की पवित्र भूमि है और वर्तमान में चिंगराज सफेददाग (लुकोडर्मा) निवारण के लिए देव आशीर्वाद का केंद्र है ।जहाँ संयोगवश देवी माँ के मार्गदर्शन और सानिध्य में विश्व शांति और उज्ज्वल भविष्य के लिए 'श्री विश्व कल्याण ज्योति' (पर्व बसंत पंचमी १० फ़रवरी २०००) से प्रज्वलित है ।

पंचमूर्ति दर्शन : लंगुरे जी, चण्डिका माँ, आदिशक्ति माँ, महामाया माँ एवं कालभैरव जी

।। ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते ।।


शीतला माता मंदिर

शीतला माता का मंदिर चण्डी माता गर्भगृह के ठीक सामने दाहिने तरफ स्थित है जो के चण्डी माता मंदिर के मुख्य मंदिरों में से एक है । शीतला माता मंदिर में अषाढ़ माह में जुड़वास मनाया जाता है ऐसा मान्यता है कि माता शीतला का जुड़वास मनाने से गाँव के ऊपर किसी बीमारी या किसी प्रकार के रोग का प्रकोप नहीं आता माता शीतला के जुडवास के समय नीम डाली से हल्दी पानी का छिडकाव गाँव के लोगों और बच्चों के ऊपर किया जाता है जिसे उनपर सालभर किसी प्रकार की बीमारी नहीं आती और माता शीतला उनको शांति प्रदान करती है । इस दिन गाँव के माताओं के द्वारा अपने घर से माँ शीतला को चावल,दाल, आलू , नमक एवं मिर्च चढ़ाया जाता है ।

।। शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत्पिता। शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः ।।


इक्कैसो बहिनी माता मंदिर

इक्कैसो बहिनी माता का मंदिर चण्डी माता गर्भगृह के ठीक सामने बाएं तरफ स्थित है जो के चण्डी माता मंदिर के मुख्य मंदिरों में से एक है । इक्कैसो बहिनी माता मंदिर में अषाढ़ माह में जुड़वास मनाया जाता है ऐसा मान्यता है कि माता शीतला का जुड़वास मनाने से गाँव के ऊपर किसी बीमारी या किसी प्रकार के रोग का प्रकोप नहीं आता माता शीतला के जुडवास के समय नीम डाली से हल्दी पानी का छिडकाव गाँव के लोगों और बच्चों के ऊपर किया जाता है जिसे उनपर सालभर किसी प्रकार की बीमारी नहीं आती और माता शीतला उनको शांति प्रदान करती है । इस दिन गाँव के माताओं के द्वारा अपने घर से माँ शीतला को चावल,दाल, आलू , नमक एवं मिर्च चढ़ाया जाता है ।


श्री राधा कृष्ण मंदिर

चण्डी माता मंदिर परिसर के अन्दर श्री राधा कृष्ण मंदिर चण्डी माता मंदिर के ठीक सामने स्थित है जिसका निर्माण २००३ में यादव समाज द्वारा किया गया है । यह मंदिर लोरिक नगर गढ़ रीवाँ का एकलौता कृष्ण मंदिर है ।

जहाँ प्रत्येक वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पवन अवसर पर ग्राम के यूवाओं के द्वारा मटका फोड़ तथा बच्चो के लिए कुछ कुछ खेलकूद का आयोजन मंदिर के सामने किया जाता है जिसमे गाँव के बच्चे बढ़चढ़ के भाग लेते हैं ।

।। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ।।


शिव मंदिर

चण्डी माता मंदिर परिसर के अन्दर शिव मंदिर चण्डी माता मंदिर के सामने बायीं ओर स्थित है जिसका निर्माण १९९३ में लोरिक नगर गढ़ रीवाँ के महिला मंडल द्वारा किया गया है ।

हम सबके प्रिय भगवान शिव का जन्म नहीं हुवा है वे स्वयंभू है । लेकिन पुरानो में उनकी उत्त्पत्ति का विवरण मिलता है । विष्णु पुराण के अनुसार ब्रह्मा भगवान विष्णु की नाभि कमल से पैदा हुए जबकि भगवान शिव भगवान विष्णु के माथे के तेज से उत्त्पन्न बताए गए हैं । विष्णु पुराण के अनुसार माथे के तेज से उत्पन्न होने के कारण ही शिव हमेशा योगमुद्रा में रहते हैं ।

।। ॐ नमः शिवाय ।।


महाकाली माता मंदिर

चण्डी माता मंदिर परिसर के अन्दर महाकाली माता मंदिर स्थित है जिसका निर्माण २०१९ में लोरिक नगर गढ़ रीवाँ के स्व. मिलाऊ राम दीपक की स्मृति में डॉ. ललित कुमार दीपक के द्वारा कराया गया है । यह ग्राम रीवाँ का एकमात्र काली मंदिर है जो की चण्डी मंदिर परिसर में स्थित है ।

मां दुर्गा की पहली महाविद्या मां काली बताई गई हैं। यह माता आदिशक्ति का सबसे शक्तिशाली स्वरूप है, मान्यता है यह आसानी से क्रुद्ध और आसानी से प्रसन्न होती हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं। मां काली के कुछ आसान मंत्र हैं, इनका रोजाना एका माला जाप माता को प्रसन्न करता है, और नवरात्रि में तो इनके जप की महिमा निराली है।

।। ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे ।।


दक्षिणमुखी श्री हनुमान मंदिर

चण्डी माता मंदिर परिसर के अन्दर दक्षिणमुखी हनुमान जी का मंदिर स्थित है जिसका निर्माण २००६ में स्व. दीनबंधु चंद्राकर की स्मृति में अशोक चंद्राकर के द्वारा कराया गया है ।

श्री हनुमान कलयुग के शीघ्र ही प्रसन्न होने वाले देवता हैं। मात्र स्मरण करने से ही वे कृपा करते हैं। हनुमान जी सामाजिक समन्वय और विकास के अग्रदूत हैं। वह योद्धा के रूप में पवन गति के स्वामी हैं बल्कि वह सुशासित राम राज्य के पुरोधा और कुल पुरोहित भी हैं। मान्यता है कि पवन पुत्र हनुमान जी का जन्म मंगलवार के दिन हुआ था जिस कारण मंगलवार के दिन उनकी विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। चिरंजीवी हनुमान को पवन पुत्र कहा गया है। ऐसा मान्यता है की जहाँ पर भी भगवान राम का रामायण गायन या कथा कहा जाता है वहां पर भगवान हनुमान सबसे पहले सुनने आते हैं और सबसे आखरी में वहां से जाते हैं । हनुमान जी का नाम सुनके भुत पिशाच आसपास नहीं भटकते ।

।। ॐ हं हनुमते नम: ।।


बूढ़ादेव मंदिर

चण्डी माता मंदिर परिसर के अन्दर बूढ़ादेव बाबा का मंदिर तालाब के किनारे स्थित है जिसका निर्माण आदिवासी ध्रुव(गोंड) समाज के द्वारा कराया गया है । यह लोरिक नगर गढ़ रीवाँ का एकमात्र बूढ़ादेव बाबा का मंदिर है जो की चण्डी मंदिर परिसर में स्थित है ।

बूढ़ा देव जंगल के देवता को कहा जाता है। आदिवासियों का मानना है कि बूढ़ा देव भगवान महादेव के बेटे हैं। आदिवासी समाज इनकी पूजा इसलिए भी करते हैं ताकि जंगल में हरियाली बरकरार रहे। साथ ही जीव जंतुओं के साथ आदिवासी समाज भी जंगल में अपना जीवन सुकून से बीता सके।

आदिवासी समाज गौरा गौरी की पूजा करते हैं। भगवान शंकर और माता पार्वती को गौरा गौरी कहा जाता है। इनकी पूजा कर दीपावली के समय गाँव में शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें समाज के लोग शामिल होते हैं. बूढ़ा देव की प्रतिमा के साथ गौरा गौरी की प्रतिमा को गाँव के अलग-अलग क्षेत्र में घुमाया जाता है। माना जाता है कि जहां-जहां यह शोभायात्रा जाएगी वहां नकारात्मक सोच खत्म होती है और नुकसान पहुंचाने वाली बीमारियाँ खत्म होते हैं। बूढ़ा देव के आशीर्वाद से आदिवासी समाज आज जंगलों में फल फूल रहा है और बूढ़ा देव की पूजा कर यह अपने आने वाले भविष्य और जंगलों में हरियाली बरकरार रहे इसका आशीर्वाद मांगते हैं।


हरदेव लाल मंदिर

चण्डी माता मंदिर परिसर के अन्दर हरदेव लाल मंदिर तालाब के किनारे स्थित है जो प्राचीन समय से गाँव में स्थित है । यह लोरिक नगर गढ़ रीवाँ का एकमात्र हरदेव लाल बाबा का मंदिर है जो की चण्डी मंदिर परिसर में स्थित है । हरदेव लाल बाबा को गाँव के लोग ढेंगा देवता के नाम से भी जानते हैं ।

हरदेव लाल बाबा को रक्षक को कहा जाता है। पुरानी मान्यता है की जो भी इंसान वहां से गुजरते समय भगवान हरदेव लाल बाबा को प्रणाम करके जाता है तो भगवान हरदेव लाल बाबा उनके साथ रहकर उनकी रक्षा उनके घर पहुचते तक करते हैं । प्रत्येक नवरात्र में भगवान हरदेव लाल बाबा के विशेष पूजा किया जाता है । जिसकी कृपा से पुरे गाँव की रक्षा होती है ।