गाँव के प्रमुख मंदिर


शनिदेव मंदिर

गाँव के शनि मंदिर का निर्माण गाँव वालों ने सब साथ मिल कर बंधवा तालाब के पार कराया जो की गाँव का एकलौता शनि मंदिर है । जहां प्रतिवर्ष शनि जयंती के दिन विशेष पूजा अर्चना करते हैं । हिंदू धर्म में शनि देव का स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है। शनिदेव साक्षात रूद्र हैं और ज्योतिष शास्त्र में यह भी बताया गया है कि शनि देव न्याय के देवता हैं और समस्त देवताओं में शनिदेव ही एक ऐसे देवता है, जिनकी पूजा प्रेम के कारण नहीं बल्कि डर के कारण की जाती है। इसका एक कारण यह भी है क्योंकि शनिदेव को न्यायाधीश की उपाधि प्राप्त है। मान्यता है कि शनिदेव कर्मों के अनुसार जातकों को फल प्रदान करते हैं। जिस जातक के अच्छे कर्म होते हैं, उन पर शनिदेव की कृपा बनी रहती है और और जो व्यक्ति बुरे कर्मों में लिप्त रहता है। उन पर शनिदेव का प्रकोप बरसता है।


कर्मा माता मंदिर

गाँव के कर्मा माता मंदिर का निर्माण गाँव के साहू सामज के लोगों के द्वारा किया गया । यह गाँव का एकलौता कर्मा माता का मंदिर है जहां पर प्रत्येक वर्ष कर्मा जयंती के दिन विशेष पूजा अर्चना किया जाता है । श्रीकृष्‍ण की भक्त माता कर्मा का जन्म चैत्र कृष्ण पक्ष की पापमोचनी एकादशी को साहू परिवार में हुआ था। बाल्यकाल में ही वह श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन रहकर उनके भजन गाती थी। उसके मनोहर गीत सुनकर भक्तगण झूमने लगते थे।


श्री राम मंदिर बजरंग पारा

गाँव के श्री राम मंदिर का निर्माण गाँव के बजरंग पारा के लोगों के द्वारा किया गया जो कि गाँव का एक मात्र श्री राम मंदिर है जो की बम्हनी तालाब के पार में स्थापति है । इस मंदिर में प्रभु श्री राम के साथ साथ माता सीता, लक्ष्मण तथा हनुमान जी की मूर्ति है ।


शिव मंदिर नैयापारा

गाँव के नैयापारा में नैया तालाब के पार में स्थित शिव भगवान का मंदिर गाँव के प्रमुख मंदिरों में से एक है । जहाँ प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के पावन पर्व में यहाँ पर मेले का आयोजन होता है जिसमे पुरे गाँव से लोग भगवान भोले नाथ के दर्शन करने आते हैं । शिवरात्री के दिन यहाँ पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है ।


शिव मंदिर गाँधीपारा

गाँव के गाँधीपारा में डबरी के पार में स्थित शिव भगवान का मंदिर गाँव के प्रमुख मंदिरों में से एक है । जहाँ आसपास के लोगों के द्वारा पूजा अर्चना की जाती है।


शिव मंदिर धीवर पारा

गाँव के धीवर पारा में स्थित शिव भगवान का मंदिर गाँव के प्रमुख मंदिरों में से एक है । जहाँ आसपास के लोगों के द्वारा पूजा अर्चना की जाती है।


हनुमान मंदिर बजरंग पारा

गाँव के बजरंग पारा में स्थित हनुमान जी का मंदिर गाँव के प्रमुख मंदिरों में से एक है । जहाँ आसपास के लोगों के द्वारा पूजा अर्चना की जाती है।


हनुमान मंदिर बाज़ार चौक

गाँव के बाज़ार चौक में स्थित हनुमान जी का मंदिर गाँव के प्रमुख मंदिरों में से एक है । जहाँ आसपास के लोगों के द्वारा पूजा अर्चना की जाती है।


गुरु घासीदास बाबा मंदिर

गाँव में स्थित गुरु घासीदास बाबा जी का मंदिर गाँव के प्रमुख मंदिरों में से एक है । जहाँ पर प्रतिवर्ष 18 दिसंबर को गुरु घासीदास बाबा जी के जयंती पर पालो चढ़ाया जाता है और बड़े धूम धाम से जयंती मनाया जाता है तथा गुरु घासीदास बाबा मंदिर के पास मेले का आयोजन भी किया जाता है । इस मंदिर का निर्माण समाज के लोगों के द्वारा साथ मिलकर किया गया था । गुरू घासीदास बाबा का जन्म 1756 में बलौदा बाजार जिले के गिरौदपुरी में एक गरीब और साधारण परिवार में पैदा हुए थे। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों पर कुठाराघात किया। जिसका असर आज तक दिखाई पड रहा है। उनकी जयंती हर साल पूरे छत्तीसगढ़ में 18 दिसम्बर को मनाया जाता है। गुरू घासीदास जातियों में भेदभाव व समाज में भाईचारे के अभाव को देखकर बहुत दुखी थे। वे लगातार प्रयास करते रहे कि समाज को इससे मुक्ति दिलाई जाए। लेकिन उन्हें इसका कोई हल दिखाई नहीं देता था। वे सत्य की तलाश के लिए गिरौदपुरी के जंगल में छाता पहाड पर समाधि लगाये इस बीच गुरूघासीदास जी ने गिरौदपुरी में अपना आश्रम बनाया तथा सोनाखान के जंगलों में सत्य और ज्ञान की खोज के लिए लम्बी तपस्या भी की। गुरु घासीदास ने सतनाम धर्म की स्थापना की और सतनाम धर्म की सात सिद्धांत दिए।
गुरु घासीदास बाबा जी की सात शिक्षाएँ हैं-
(१) सतनाम् पर विश्वास रखना।
(२) जीव हत्या नहीं करना।
(३) मांसाहार नहीं करना।
(४) चोरी, जुआ से दूर रहना।
(५) नशा सेवन नहीं करना।
(६) जाति-पाति के प्रपंच में नहीं पड़ना।
(७) व्यभिचार नहीं करना।