सतबहनिया माता मंदिर
सतबहनिया माता मंदिर भी गाँव के प्राचीन मंदिरों में से एक हैं जिसकी विशेष महत्त्व है।
किसी के भी घर बच्चा पैदा होने पर सबसे पहले सतबहनिया माता को चूड़ी पाट भेंट की जाती है, वह भी काली चूड़ी।
माता को नई चूड़ी चढ़ाकर वहां चढ़ी हुई दूसरी चूड़ी उठाते हैं और बच्चे को पहनाते हैं।
गाँव के लोगों का मानना है कि ऐसा करने से माता प्रसन्न होती हैं, उनकी कृपा प्राप्त होती है और चूड़ी भेंट नहीं करने पर बच्चे को कष्ट होता है।
कोई नहीं जानता कि यह परंपरा कब से चली आ रही है। पूर्वज ऐसा करते थे इसलिए लोग पीढ़ी दर पीढ़ी माता को पूजते आ रहे हैं।
गाँव में जब भी बाज़ार होता है तो बाजार के शुरू में सबसे पहले माता सतबहनिया में ही सामान चढ़ाया जाता है जो भी सामान बेचने वाले आए रहते हैं ।
इस प्रकार गाँव के सुख, शांति और समृधि में माता सतबहनिया का विशेष कृपा है ।